क्या मोदी सरकार का अगला निशाना होगा Waqf Board
Waqf Board: महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की ऐतिहासिक जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने Waqf Board को लेकर एक बड़ा संकेत दिया है, जिससे यह सवाल उठने लगा है कि क्या मोदी सरकार का अगला निशाना वक्फ बोर्ड होगा। प्रधानमंत्री मोदी ने इस जीत को ऐतिहासिक बताते हुए बीजेपी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया और कांग्रेस के तुष्टिकरण की नीतियों पर भी निशाना साधा।
महाराष्ट्र चुनाव में बीजेपी की प्रचंड जीत
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जिस प्रकार की ऐतिहासिक जीत हासिल की है, वह भारतीय राजनीति में एक नई दिशा को संकेत करता है। पीएम मोदी ने इस जीत को पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ने वाली और असाधारण बताया। उन्होंने इस जीत को एकजुटता और समरसता का संदेश देने वाला बताया। मोदी ने कहा कि इस बार महाराष्ट्र की इस धरती ने पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए और बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। उनके अनुसार, महाराष्ट्र ने यह साबित किया कि जब हम एकजुट होते हैं, तो कुछ भी असंभव नहीं होता।
इंडी गठबंधन पर हमला
प्रधानमंत्री मोदी ने इंडिया गठबंधन पर भी तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि इन दलों को देश के बदलते मिजाज को समझने में कठिनाई हो रही है। मोदी ने इस गठबंधन को ‘कुर्सी फर्स्ट’ के सपने देखने वाली राजनीति का प्रतिनिधि बताया, जबकि भारतीय वोटर हमेशा ‘नेशन फर्स्ट’ के सिद्धांत पर चलता है। उनका कहना था कि कांग्रेस के परिवार ने सत्ता के लालच में संविधान की पंथनिरपेक्षता की भावना को ताक पर रख दिया है।
वक्फ बोर्ड पर पीएम मोदी का बयान
प्रधानमंत्री मोदी ने वक्फ बोर्ड का नाम लेकर कांग्रेस की तुष्टिकरण नीतियों पर निशाना साधा। उनका कहना था कि वक्फ बोर्ड को संविधान में कोई स्थान नहीं दिया गया था, लेकिन कांग्रेस ने सत्ता की लालच में इस प्रणाली को अस्तित्व में लाया। मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने तुष्टिकरण की राजनीति के तहत वक्फ बोर्ड जैसी संस्थाएं बनाई ताकि उनका वोट बैंक बढ़ सके। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस ने झूठे सेक्युलरिज्म के नाम पर देश के संविधान को नकारा।
वक्फ बोर्ड की उल्टी गिनती शुरू?
प्रधानमंत्री मोदी का यह बयान वक्फ बोर्ड के भविष्य को लेकर नई चर्चाएं शुरू कर सकता है। मोदी के इस बयान से यह संकेत मिलता है कि वक्फ बोर्ड की उल्टी गिनती शुरू हो गई है और 2024 के अंत तक यह अस्तित्व में नहीं रहेगा। 25 नवंबर से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने जा रहा है, और सबकी नजरें वक्फ बिल पर होंगी। इस सत्र में सरकार वक्फ बिल को पारित कराने की कोशिश करेगी, जिससे वक्फ बोर्ड को लेकर एक बड़ा बदलाव हो सकता है।
वक्फ विधेयक और संसद की संयुक्त समिति
वक्फ बिल को लेकर संसद की संयुक्त समिति में कई बैठकें हो चुकी हैं और इस पर व्यापक विचार-विमर्श जारी है। इस बिल पर अब तक 27 बैठकें हो चुकी हैं और इसे अब संसद में पेश किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने इस विधेयक को लोकसभा में पेश किया था, जिसके बाद यह विवादों में घिर गया था और इसे जेपीसी (जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी) के पास भेजा गया था। अब शीतकालीन सत्र में समिति अपनी रिपोर्ट संसद को सौंपेगी और इस बिल पर संसद में हंगामा हो सकता है।
वक्फ बोर्ड पर क्या होगा अगला कदम?
इस बिल को लेकर संसद में जो भी घटनाक्रम होगा, वह वक्फ बोर्ड के भविष्य को लेकर अहम साबित हो सकता है। मोदी सरकार इसे पारित करने की कोशिश करेगी, जिससे वक्फ बोर्ड की कार्यप्रणाली में बड़ा बदलाव हो सकता है। यह बिल तुष्टिकरण की राजनीति को समाप्त करने और देश की सामाजिक न्याय की भावना को मजबूत करने का एक प्रयास हो सकता है। वक्फ बोर्ड पर इस विधेयक के बाद जो भी निर्णय लिया जाएगा, वह भारतीय राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है।
सामाजिक न्याय और तुष्टिकरण का मुद्दा
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने सत्ता के लालच में संविधान की सामाजिक न्याय की भावना को कमजोर किया। उनका कहना था कि कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए वक्फ जैसे संस्थान स्थापित किए, जो भारतीय संविधान की मूल भावना के खिलाफ थे। इस संदर्भ में मोदी ने यह भी कहा कि वक्फ बोर्ड को लेकर उनकी सरकार अब बदलाव लाएगी, ताकि यह संस्थान संविधान की भावना के अनुरूप काम करे।
प्रधानमंत्री मोदी का बयान वक्फ बोर्ड के भविष्य को लेकर एक बड़ा संकेत हो सकता है। यदि सरकार वक्फ विधेयक को संसद में पास कराती है, तो यह एक ऐतिहासिक कदम हो सकता है, जो तुष्टिकरण की राजनीति को समाप्त करने और भारतीय संविधान की मूल भावना को सशक्त बनाने की दिशा में अहम होगा। आगामी शीतकालीन सत्र में वक्फ बिल पर चर्चा और निर्णय भारत की राजनीति को एक नई दिशा दे सकता है।